मंगलवार, 19 मई 2009

रोल माडल की उपेक्षा भी शक्ति देती है

एक दिन एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य से धनुष विद्या सिखाने का आग्रह किया लेकिन गुरु द्रोणाचार्य ने यह कहकर टाल दिया की वह केवल राजपुत्रो को ही शिछा देते है । गुरु द्रोणाचार्य की उपेक्षा के बाद भी एकलव्य ने उन्हे ही अपना रोल माडल बनाया और उनकी मूर्ति की स्थापना करके स्वाध्याय से
से धनुष विद्या सिखा । अपने मजबूत इरादे और मजबूत इच्छा शक्ति के बल पर अर्जुन से भी बड़ा धनुधर बन बैठा। इसलिए हमे भी किसी गुरु की उपेक्षा को न देखकर उन्हें अपना रोल माडल मानकर अपने मंजिल को प्राप्त करना चाहिए ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. har insan ka apna ek rol madal hona chahiye vahi aage badne ki rah dikhte hai.

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  2. sansar ke har insan ka apna ek rol madal jarur hota hai.

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  3. गुरु के प्रति श्रद्धा और आदर भाव ही लक्ष्य तक ले जाता है...बहुत अच्छा विचार... ढेरो शुभकामनाएँ

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  4. shrdha aur visvas se hi guru ka maan badta hai. aap ka guru ke prti ye aadar bhav achchha laga.

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  5. bina rol madal ke manushy apne lakshya atak nahi pahunch sakta hai.

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