बुधवार, 20 मई 2009

अब अपनों में वो बात कहाँ ?

अपनों को अपनों से मिलाये ,

अपनों में वह बात कहा ?

गलती करके झुक जाए

अपनों में यह अहसास कहाँ ?

रखते है अरमान बहुत

लेकिन करने का आकार कहाँ ?

अपने पर जो अटल रहे

ऐसा अब इन्सान कहाँ ?

कर्तव्यों को जो कर दिखलाये

अपनों में अब वह महान कहा ?

देश हित पर जो मिट जाए

अपनों में वह बात कहाँ ?

तन मन धन से देश पर जो अर्पित हो जावे

अपनों में वह शान कहाँ ?

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