कभी कभी उपेक्षा और पराजय बोध भी व्यक्ति के सपने को पंख लगा देते है , इसके प्रमाण हमारे पोरानिक कथाओ में मिलते है । आसमान में चमकते ध्रुव तारे के सम्बन्ध में ऐसे ही एक कहानी सुनने को मिलती है । ध्रुव रजा उत्तानपाद के पुत्र थे । बालक ध्रुव एक दिन पिता उत्तानपाद की गोद में बैठे थे। ध्रुव की सौतेली माँ सुरुचि को यह बात अच्छी न लगी और उन्होने ध्रुव को अपमानपूर्वक राजा की गोद से निचे उतार दिया और अपने पुत्र उत्तम को वहां बैठा दिया । सौतेली माँ के इस व्यवहार से आहात बालक ध्रुव ने अपनी सगी माँ सुनीति के पास जाकर साडी बात बताई । सुनीति ने पुत्र को समझाया कि तुम इश्वर कि आराधना करो। अपने तप के बल पर तुम वह स्थान
प्राप्त कर सकते हो , जो तुम्हारे पिता कि गोद और उनके राज्य सिंहासन से बहुत ऊँची होगी। ध्रुव ने ऐसा ही किया और आज ध्रुव तारे के रूप में अन्तरिक्ष में चमक रहा है ।
प्राप्त कर सकते हो , जो तुम्हारे पिता कि गोद और उनके राज्य सिंहासन से बहुत ऊँची होगी। ध्रुव ने ऐसा ही किया और आज ध्रुव तारे के रूप में अन्तरिक्ष में चमक रहा है ।
aap ki baat se puri tarah sahmat hai.
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