गुरुवार, 21 मई 2009

समय की कद्र करो मेरे भइया

समय की कद्र करो मेरे भइया समय बड़ा बलवान
समय का गुन गा गए ऋषि मुनि विद्धवान
समय जो आया फ़िर ना लौटेगा इसे ये जान
धुप छाव का आना-जाना समय की है पहचान
उठती है घनघोर घटाए बरसे रिमछिम पानी
गर्मी सर्दी धुप छाव है बचपन और जवानी
समय जो गया फ़िर न आएगा इसको ले तू जान
समय का कद्र करो मेरे भइया समय बड़ा बलवान
समय भले हो अगर तुम्हारे तुम मत इतना इतराओ
समय का चक्कर क्या है यारो इससे मत चक्कराव
समय पड़ा जब राम के ऊपर गए वन को भगवान
समय पड़ा जब राणा पर घास की रोटी खायी
समय से लड़ के यारो जंग से लक्ष्मी बाई
समय के आगे टिका न कोई राजा और सुलतान
समय की कद्र करो मेरे भइया, समय बड़ा बलवान

नारी के सच्चे आभूषण

हर नारी को पढ़ा लिखा होना जरुरी है । कोई नारी सोने चांदी के आभूषण पहन कर समाज में सम्मान प्राप्त करने योग्य नही होती है । नारी महान होती है अपने आचरण, मीठी बोली, लज्जा, कुशल गृहिणी तथा व्यावहारिक गुणों से। नारी के लिए लज्जा सबसे बड़ा आभूषण है। कोई भी नारी बिन लज्जा के नारी नही मानी जाती है। दूसरा गुन नारी के अन्दर मीठी बोली होना चाहिए। क्योकि नारी कितनी भी सुंदर हो मगर वह कड़वे शब्दों का प्रयोग करती है तो नारी अच्छी नही लगती है। उससे कोई बोलना प्रसंद नही करता है। अगर नारी मीठी बोली और लज्जा के साथ साथ उसका आचरण सही हो तभी वह नारी नारी कहलाने के लायक है। नारी का व्यवहार और कुशल गृहिणी होना भी नारी का सबसे बड़ा गुण माना जाता है। एक कुशल नारी के लिए घर के सारे कार्यो में कुशल होना चाहिए। जैसे - सिलाई, बुनाई, अच्छा खाना बनाने आदि कार्यो में निपुण होना चाहिए।
नही मोहताज जेवर कि, जिसे ये खूबी खुदा ने दी,

बुधवार, 20 मई 2009

साहसी बनो

आज के मानव जीवन में साहस का विशेष महत्व है । बिना साहस के मनुष्य जीवन के किसी उद्देश में सफलता प्राप्त नही कर सकता। साहस मनुष्य जीवन को सोने जैसा चमकता है और उन्नति के पथ की ओर बढ़ाता है यदि हम साहस से विमुख हो गए तो समाज हमारी निंदा करता है, हमारा तिरस्कार करता है । दुनिया का कौन सा ऐसा कार्य है जो साहस से नही होता है । चाहे जितनी बड़ी से बड़ी कठिनाई हो वह साहस के आगे घुटने टेक देती है और आने वाले आपत्तियों की धज्जिया बिखेर देती है और बड़े से बड़े तुफानो के मुँह को फेर देती है। साहस का टूटना ही हमारे पतन का कारन है ।
साहस के बलबूते ही हमें भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे साहसी व्यक्ति ने हमें आजादी दिलाई। इतना ही नही हमारे भारतीय सैनिको ने अपने साहस के बल पर कारगिल जैसे युद्ध को भी जीत लिया। साहस बड़े से बड़े आपत्ति, भय, परेशानी को पल भर में समाप्त कर देती है। इस साहस के बल से ही अपने चरित्र, समाज और राष्ट्र को ऊँचा उठा सकते है।
जिसके अन्दर साहस नही वह मरा हुआ इन्सान है
हर मुश्किल को ख़त्म करे साहस उसका नाम है

कुछ प्रधानमंत्री ऐसे भी

क्या आप जानते है कि कुछ प्रधानमंत्री चुनाव परिणाम आने से पहले ही प्रधानमंत्री बन बैठे । जी हाँ कुछ राजनीतिक धुरंधर ऐसे है जो ख्याली पुलाव पकाते है और ख़ुद को प्रधानमंत्री मान बैठते है । उन्ही में से खुच धुरंधर राजनेता है जो अपनी पार्टी का अस्तित्व भी बचा पाने में असमर्थ है। इस धुरंधर नेताओ में रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, शरद पवार, प्रकाश कारात जैसे नेताओ का नाम है। जो चुनाव परिणाम आने से पहले ही अपने आप को प्रधानमंत्री मान बैठे थे । जिसे जनता ने पुरी तरह नकार diya. chunav से पहले इन लोगो ने कांग्रेस को जो आँख दिखाए है वही आज कांग्रेस को बिन मांगे समर्थन देने के लिए लाइन में खड़े है।

अब अपनों में वो बात कहाँ ?

अपनों को अपनों से मिलाये ,

अपनों में वह बात कहा ?

गलती करके झुक जाए

अपनों में यह अहसास कहाँ ?

रखते है अरमान बहुत

लेकिन करने का आकार कहाँ ?

अपने पर जो अटल रहे

ऐसा अब इन्सान कहाँ ?

कर्तव्यों को जो कर दिखलाये

अपनों में अब वह महान कहा ?

देश हित पर जो मिट जाए

अपनों में वह बात कहाँ ?

तन मन धन से देश पर जो अर्पित हो जावे

अपनों में वह शान कहाँ ?

मंगलवार, 19 मई 2009

उपेक्षा भी कभी कभी इन्सान को महान बना देती है

कभी कभी उपेक्षा और पराजय बोध भी व्यक्ति के सपने को पंख लगा देते है , इसके प्रमाण हमारे पोरानिक कथाओ में मिलते है । आसमान में चमकते ध्रुव तारे के सम्बन्ध में ऐसे ही एक कहानी सुनने को मिलती है । ध्रुव रजा उत्तानपाद के पुत्र थे । बालक ध्रुव एक दिन पिता उत्तानपाद की गोद में बैठे थे। ध्रुव की सौतेली माँ सुरुचि को यह बात अच्छी न लगी और उन्होने ध्रुव को अपमानपूर्वक राजा की गोद से निचे उतार दिया और अपने पुत्र उत्तम को वहां बैठा दिया । सौतेली माँ के इस व्यवहार से आहात बालक ध्रुव ने अपनी सगी माँ सुनीति के पास जाकर साडी बात बताई । सुनीति ने पुत्र को समझाया कि तुम इश्वर कि आराधना करो। अपने तप के बल पर तुम वह स्थान
प्राप्त कर सकते हो , जो तुम्हारे पिता कि गोद और उनके राज्य सिंहासन से बहुत ऊँची होगी। ध्रुव ने ऐसा ही किया और आज ध्रुव तारे के रूप में अन्तरिक्ष में चमक रहा है ।

रोल माडल की उपेक्षा भी शक्ति देती है

एक दिन एकलव्य ने गुरु द्रोणाचार्य से धनुष विद्या सिखाने का आग्रह किया लेकिन गुरु द्रोणाचार्य ने यह कहकर टाल दिया की वह केवल राजपुत्रो को ही शिछा देते है । गुरु द्रोणाचार्य की उपेक्षा के बाद भी एकलव्य ने उन्हे ही अपना रोल माडल बनाया और उनकी मूर्ति की स्थापना करके स्वाध्याय से
से धनुष विद्या सिखा । अपने मजबूत इरादे और मजबूत इच्छा शक्ति के बल पर अर्जुन से भी बड़ा धनुधर बन बैठा। इसलिए हमे भी किसी गुरु की उपेक्षा को न देखकर उन्हें अपना रोल माडल मानकर अपने मंजिल को प्राप्त करना चाहिए ।